भारत में सोना केवल एक धातु नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक विश्वास का प्रतीक है। पिछले 8 महीनों में सोने की कीमतों में लगभग ₹25,000 प्रति 10 ग्राम की वृद्धि देखी गई है, जो न केवल घरेलू मांग बल्कि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों को भी दर्शाती है।

कीमतों में तेजी: कारण क्या हैं?

वैश्विक अनिश्चितता:
डॉलर की कमजोरी, अमेरिका और यूरोप में आर्थिक मंदी की आशंका, और भू-राजनीतिक तनावों (जैसे रूस-यूक्रेन, मध्य-पूर्व) ने निवेशकों को सुरक्षित विकल्प की ओर मोड़ा है — और सोना उसका प्राथमिक माध्यम है।

घरेलू मांग में वृद्धि:
भारत में विवाह, त्योहारी सीज़न (जैसे नवरात्रि, दिवाली, अक्षय तृतीया) और धार्मिक अनुष्ठानों में सोने की मांग स्वाभाविक रूप से बढ़ती है। आने वाले महीनों में यह मांग और तेज़ होने की संभावना है।

रुपये में गिरावट:
डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से आयातित सोना और महंगा हो जाता है, जिससे घरेलू कीमतों में और इजाफा होता है।

निवेश के रूप में सोना

महंगाई और शेयर बाजार की अस्थिरता के चलते मध्यमवर्ग और ग्रामीण भारत के लोग अब भी सोने को ‘सुरक्षित निवेश’ मानते हैं। सोने के ETF (Exchange Traded Funds) और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स की मांग भी तेजी से बढ़ी है।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

वित्तीय संतुलन पर दबाव:
भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक है। मांग बढ़ने से चालू खाता घाटा (CAD) पर असर पड़ सकता है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था की भागीदारी:
ग्रामीण क्षेत्रों में सोना एक प्रकार की बचत और सामाजिक स्थिति का प्रतीक है। फसल अच्छी हो तो मांग बढ़ती है — और यही 2025 में देखने को मिल रहा है।

आगे क्या?

त्योहारी मौसम और शादी-ब्याह के सीज़न को देखते हुए अगले तीन महीनों में सोने की कीमतों में और तेजी आने की संभावना है। वैश्विक स्तर पर बढ़ते व्यापारिक तनाव और कमजोर रुपये के चलते सोने की कीमतें 1,09,000 रुपये के पार पहुंच गई है। भारत ही नहीं बल्कि विश्व में सोने की कीमतों में तेज उछाल दिख रहा है। एशिया में सोने की कीमतें 3,500 डॉलर को पार कर चुकी है।

निष्कर्ष

भारत में सोने की मांग केवल बाज़ार की बात नहीं, यह समाज और संस्कृति की जड़ में बसी हुई है। सरकार के लिए यह दोधारी तलवार है — एक ओर यह वित्तीय स्थिरता के लिए चुनौती है, तो दूसरी ओर आम जनता की भावनात्मक और आर्थिक सुरक्षा का आधार भी। नीति-निर्माताओं को ज़रूरत है कि वे मांग को नियंत्रित करने की कोशिश करने की बजाय, इसे वित्तीय प्रणाली में समाहित करने के स्मार्ट विकल्प खोजें।

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